“The Nectar of Instruction by Bhaktivedanta Swami Prabhupada ( Bhakti Vedanta Book Trust ) Paperback ( Iskcon )” has been added to your cart. View cart
युगगीता (भाग-4) “कर्म संन्यास योग” प्रकरण पर केंद्रित है। इसमें सांख्ययोग और कर्मयोग के बीच अंतर और महत्व को समझाया गया है। यह अध्याय ज्ञानयोग, भक्ति और ध्यानयोग पर भी प्रकाश डालता है।
युगगीता (भाग-4) में, “कर्म संन्यास योग” अध्याय में, सांख्ययोग और कर्मयोग के बीच अंतर और महत्व को स्पष्ट किया गया है। सांख्ययोग और कर्मयोग के लक्षण और उनके महत्व का वर्णन है। इसके अतिरिक्त, यह अध्याय ज्ञानयोग, भक्ति और ध्यानयोग पर भी चर्चा करता है।
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