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Edition : 2024
Size : 21×14 cm
Language : Hindi
Pages : 160
Binding : Paperback
Author : Swami Akhandanad Saraswati / स्वामी अखण्डानन्दा सरस्वती
Prakashan : Sat Sahitaya Prakashan
ईश्वर ने दुःख इसलिए नहीं दिया है की हम संसार में अटके नहीं । निद्रा इसलिए दी है की हम भटके नहीं। अपने प्रिय स्थान अंतद्रेशका ज्ञान बना रहे। चंचलता इसलिए दी है की हम कही लटके नहीं किसीके प्रेम में फंस न जाये । की आपकी दृष्टि इतनी संकीर्ण है जो आपके द्वारा मान्य लक्षण है उसमे जिसका स्नत्रिवेश हो उसको धर्मात्मा माने, अन्यको नहीं ? आप अपने अंतकरण की संकीर्णताका परित्याग करके सबमे व्यापक धर्मसत्ताका अनुभव कीजिये। इससे आपके मन में जो रोग – द्वेष , संघर्ष अदि है , वे शांत हो जायेंगे और आप परमार्थ पथपर अग्रसर होंग …. ( स्वामी अखण्डानन्दा सरस्वती जी महाराज ) …..







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