Main Aryaputra Hoon ( I Am Aryaputra (Authentic Story of The First Civilized Human Group in The World) / मैं आर्यपुत्र हूँ (विश्व के प्रथम सभ्य मानव समूह की प्रामाणिक कथा) By Manoj Singh ( Prabhat Prakashan ) Paperback / Hindi

Original price was: ₹499.00.Current price is: ₹449.00.

Edition : 2024

Pages : 302

Language : Hindi

Author : Manoj Singh

Weight : 500 gm

Size : 21×14 cm

“मैं आर्यपुत्र हूँ” मनोज सिंह द्वारा लिखित एक पुस्तक है जो आर्यों के इतिहास और पहचान की पड़ताल करती है । यह आर्यों की कहानी को पति-पत्नी के बीच संवाद के समान संवादात्मक प्रारूप में प्रस्तुत करता है, ताकि “आर्य” शब्द का अर्थ स्पष्ट किया जा सके और इसे “आर्यपुत्र” शब्द से अलग किया जा सके। पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को आर्यन उत्पत्ति और भारतीय सभ्यता के विकास की स्पष्ट समझ प्रदान करना है।   

★ ‘‘हे आर्य! कोई बाहरी आक्रमणकारी जब किसी अन्य देश में प्रवेश करता है तो बाहर से भीतर आता है या भीतर से बाहर जाता है?’’ ‘‘यह कैसा प्रश्न हुआ, आर्या! ★ स्वाभाविक रूप से बाहर से भीतर आता है।’’ ‘‘और इसी स्वाभाविक तर्क के आधार पर ही मैं भी एक प्रश्न पूछना चाहूँगी। ★ अगर यह मान लिया जाए कि हम आर्य बाहर से आए थे तो पश्चिम दिशा से प्रवेश करने पर सर्वप्रथम सिंधु के तट पर बसना चाहिए था और फिर पूरब दिशा की ओर बढ़ना चाहिए था। लेकिन वेद और पुरातत्त्व के प्रमाण कहते हैं कि हम आर्य पहले सरस्वती के तट पर बसे थे, फिर सिंधु की ओर बढ़े। ★ यही नहीं, सरस्वती काल से भी पहले हम आर्यों का इतिहास विश्व की प्राचीनतम नगरी शिव की काशी और मनु की अयोध्या से संबंधित रहा है। और ये दोनों नगर भारत भूखंड के भीतर सरस्वती नदी की पूरब दिशा में हैं अर्थात् हम आर्य पूरब से पश्चिम दिशा की ओर बढ़े थे।…तो फिर ये कैसे बाहरी (?) आर्य थे जो भीतर से बाहर की ओर बढ़े थे।…झूठ के पाँव नहीं होते हैं आर्य, ये झूठे इतिहासकार आपके प्रामाणिक प्रश्नों के उत्तर क्या ही देंगे, जब ये मेरे इस सरल तर्क और सामान्य तथ्य पर बात नहीं कर सकते।’’ ‘‘असाधारण तर्क आर्या!’’

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