कीर्तन मणि माला ग्रन्थ को नयास द्वारा पुनः मुद्रण किया जा रहा है चूँकि : वैष्णव सम्प्रदाय में कीर्तन का अत्यधिक महत्व है तथा इस ग्रन्थ में नित्य के आठो याम की सेवा के कीर्तन , ऋतू तथा उत्सवों के कीर्तन राग रागनियो सहित होने से ये ग्रन्थ अत्यंत लोकप्रिय हुआ है तथा इसकी बार बार मांग वैष्णवों की और से होने लगी है … महाप्रभु वल्लभाचार्य जी के चारो सखा (१) कृष्ण्दास जी (२) कुंभनदासजी (३) सूरदास जी (४) परमानंददास जी और गुंसाई जी / विट्ठलनाथ जी के चारो सखा (१) श्री नंददास जी (२) चतुर्भज दस जी (३) छीतस्वामी और (४) गोविंदस्वामी जी इन आठ सखाओ को जिन्हे श्रीविट्ठलनाथ जी ने श्री नाथ जी के सम्मुख अष्ट याम की सेवा के कीर्तनिया के रूप में नियुत्क किया था उनके कीर्तनो का संग्रह इस ग्रन्थ में होने से उनका समय समय पैर गाये जाने वाले कीर्तनो के रूप में किया जाता है
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