Description
महर्षि व्यासजी को इसकी रचना ही से शान्ति मिली, जिससे अकाम कर्म, निष्काम कर्म, साधन भक्ति आदि का परम रहस्य बड़ी ही मधुरता के साथ भरा हुआ है ” यि परमहंस्यमेकममलं ज्ञानं परं गीयते “। यह ग्रन्थ भगवान के मधुरतम प्रेम रस का छलकता हुआ सागर है । इसकी कोई तुलना नहीं है । इस ग्रन्थ के पठन – पाठन , मनन एवं सुनने से मनुष्य की सभी भ्रान्तियाँ दूर हो जाती है और शीघ्र ही शाश्वत शान्ति प्राप्त होती है । राजा परीक्षित ने सुखदेव जी से इसका श्रवण करके मोक्ष प्राप्त किया । श्री रामचन्द्र केशव डोंगरे जी महाराज ने सर्वप्रथम प्रस्तुत ग्रन्थ “ श्रीमद् भागवत रहस्य ” की रचना गुजराती भाषा में ” श्रीमद् भागवत कथा ” के नाम से किया था , जिसका हिन्दी अनुवाद आपके समक्ष है । श्री डोंगरे जी ने भागवत की दुरूहता को विविध दृष्टान्तों द्वारा अत्यन्त सरल , सुगम , रोचक एवं शिक्षाप्रद बनाकर भक्तजनों का बहुत बड़ा कल्याण किया है । डोंगरे जी द्वारा भागवत का मधुर प्रवचन सुनना सभी को अच्छा लगता था , उनके प्रवचन में लोग लाखों की संख्या में एकत्र होते थे । उनके प्रवचनों के कैसेट्स भी बन गये हैं । यद्यपि इसका हिन्दी अनुवाद के अनेकों संस्करण हो चुके हैं फिर भी प्रस्तुत संस्करण सर्वोत्तम है , यदि ये कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । जो लोग संस्कृत का ज्ञान नहीं रखते , ऐसे व्यक्तियों के लिए श्री सन्त डोंगरे जी महाराज ने भाव – विभोर , पियूष वर्षिणी कथा को अधिकाधिक सुविधापूर्वक समझने के हेतु लिख दिया है । प्रस्तुत पुस्तक सरल हिन्दी भाषा में मोटे – मोटे अक्षरों में बहुत सफाई के साथ अच्छे कागज पर छपी है , जिसे बड़े – बूढ़े तथा कम पड़ी महिलायें भी पढ़कर लाभ उठा सकती हैं । आशा है पाठकगण इस ग्रन्थ के पठन द्वारा भगवत – कृपा , जीवन में सुख , शान्ति , समृद्धि तथा अन्त में मोक्ष प्राप्त कर सकेंगे
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