“ब्रह्मचर्य : कब, क्यों और कैसे?” – यह पुस्तक केवल सैद्धांतिक उपदेशों का संग्रहमात्र नहीं है बल्कि यह तो एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका है, जो इस जटिल पथ पर चलने वाले साधकों, व्यक्तियों, विशेषकर हस्तमैथुन, स्वप्नदोष जैसी समस्याओं से जूझ रहे युवाओं के लिए एक प्रकाश-स्तंभ का कार्य करती है। इसमें केवल समस्याएँ ही नहीं गिनाई गई हैं, अपितु उनका सरल, वैज्ञानिक और व्यावहारिक समाधान भी प्रस्तुत किया गया है। पूज्य महाराजश्री के अनुभव-सिंचित उपदेशों और अमूल्य जीवन-सूत्रों से सुसज्जित यह ग्रन्थरत्न पाठकों को आत्मनियंत्रण, नियमित साधना और अन्तःशक्ति का वास्तविक महत्त्व समझाता है। निःसंदेह, यह पुस्तक आपके जीवन में एक नयी दिशा, अदम्य दृढ़ता और आंतरिक प्रकाश का संचार करने में पूर्णतः सक्षम है।
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