Showing 1–12 of 109 results

Show sidebar

Bhagwat gita Sadhak Sanjivni

स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज ने गीतोक्त जीवन की प्रयोगशाला से दीर्घकालीन अनुसंधान द्वारा अनन्त रत्नों का प्रकाश इस टीका में उतार कर लोक-कल्याणार्थ प्रस्तुत किया है, जिससे आत्मकल्याणकामी साधक साधना के चरमोत्कर्ष को आसानी से प्राप्त कर आत्मलाभ कर सकें। इस टीका में स्वामी जी की व्याख्या विद्वत्ता-प्रदर्शन की न होकर सहज करुणा से साधकों की कल्याणकामी है। विविध आकार-प्रकार, भाषा, आकर्षक साज-सज्जा में उपलब्ध यह टीका सद्गुरू की तरह सच्ची मार्गदर्शिका है।

Bhagwat Gita Tattvavivechani

भगवान श्रीकृष्णकी दिव्यवाणीसे निःसृत सर्वशास्त्रमयी गीताकी विश्वमान्य महत्ताको दृष्टिमें रखकर इस अमर संदेशको जन-जन तक पहुँचानेके उद्देश्यसे गीताप्रेसके आदि संस्थापक परम श्रद्धेय ब्रम्हलीन श्रीजयदयालजी गोयन्दकाद्वारा प्रणीत गीताकी एक दिव्य टीका । इसमे 2515 प्रश्न और उनके उत्तरके रूपमें प्रश्नोत्तर शैलीमें गीताके श्लेकोंकी विस्तृत

Bhajan Sangrah Paperback

भक्त अंतःकरण से अपने इष्ट की उपासना में एवं उनके अलंकारिक छटा के वर्णन में, उनके ऐश्वर्यशाली स्वरूप की अर्चना तथा अपने दैत्य-समर्पण में भावात्मक गीतों का उद्गार ही भजन कहलाता है, जो ताल और लय के साथ मन को एकाग्र कर प्रभु के श्रीचरणों में निवेदित होकर आत्म-निवेदन बन जाता है। इस पुस्तक में साधकों के मन को प्रभु-लीला में तन्मयता के उद्देश्य से गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी, मीराबाई, श्रीसूरदासजी आदि छाछठ भक्त सन्तों के भजनों का संकलन किया गया है। पुस्तक के अन्त में गोलोकवासी श्री हनुमानप्रसाद जी पोद्दार के पदों का संग्रह है। This book contains bhajans of sixty six saints and poets viz. Goswami Tulsidas, Meerabai, Soordas etc. At the end of the book verses written by Shri Hanumanprasad ji Poddar are given.

Bhajan Sudha – Code 1783 Hardcover

Bhajan Sudha is the compilation of more than 450 bhajans devoted to various gods. Bhajan refers to any devotional song with religious theme or spiritual ideas. They are normally lyrical and based on melodic ragas. They are capable of awakening devotion and help connect our prayers to god. This was published by Gita Press Gorakhpur, the world’s largest publisher of Hindu religious texts. It was first established in 1923 to promote Hinduism through its 2000+ books across 15 languages. The book is easy to read and is written in Hindi.