Sakhiyon Ke Shayam / Sakhiyoun ke Shyam By Sobhagya Kunwari Ranawat ( Paperback , Hindi )

199.00

Edition : 2024

Pages : 200

Author : Sobhagya Kuwari Ranawat

Size : 21x13x2 cm

Weight : 250 gm

Sakhiyou Ke Shayam …. श्रीहरिः (ब्रह्म बिकानो प्रेमकी हाट) ‘ऐ इला! सुन तो।’ — धीमे स्वरमें श्यामसुंदरने कहा। उनकी बात सुन मैं समीप गयी, तो उन्होंने एकान्तमें चलनेका संकेत किया । वहाँ चलकर कुछ क्षण सोचते रहे, फिर बोले- ‘मेरा एक काम है, करेगी ?’ मैंने उत्सुकतासे उनकी ओर देखा। – — ‘अरी मुखमें जिह्वा है उसका क्या अचार डालेगी ?’ – उन्होंने खीजकर कहा । मैं हँस पड़ी – ‘तुम खाओगे वह अचार ? ‘ मार खायेगी बंदरिया कहीं की !’ – वे खीजकर मुझे मुठ्ठी बांध मारने बढ़े, किंतु मैं शांत खड़ी रही; तो उन्होंने भी हाथ नीचे कर लिया और समीप आकर बोले – ‘करेगी ?’ व्यग्रता छिपानेके लिये वे मेरी चुनरीका छोर अपनी ऊंगलीमें लपेटने और खोलने लगे । करेगी! करेगी! क्या करेगी; दण्ड-बैठक कि मल्लयुद्ध ?’ अब मेरे खीजनेकी बारी थी—‘न कुछ कहना, न सुनना ! बस ‘करेगी’। मेरे मुखमें जिह्वा न सही, तुम्हारे तो है ! फिर बोल क्यों नहीं फूट रहा ? घरमें सारा कामकाज यों ही पड़ा है। मैया मारेगी, मैं चलूँ!’ मैंने चलनेका उपक्रम किया । ‘मैं तेरे हाथ जोड़ सखी ! नेक रुक जा । ‘ – सचमुच श्यामने सम्मुख – आकर हाथ जोड़ दिये । मैं अवाक् रह गयी –’क्या काम है, कहो ?’ – ‘इला !’ उन्होंने बरसनेको आतुर नयन उठाकर मेरी ओर देखा – ‘आज प्रात: से अबतक ‘ श्रीजी’ के दर्शन नहीं हुए ।’

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