Maharana Pratap – Bharat Ka Veer Yoddha By ( Sushil Kapoor ) / ( Prabhat Prakashan )

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Original price was: ₹300.00.Current price is: ₹250.00.

Weight: 0.2

Size: 21x14x1 cm

Author: Sushil Kapoor

Pages: 136

Edition: 2024

अपनी आन के पक्के महाराणा प्रताप को मेवाड़ का शेर कहा जाता है। हल्दीघाटी के युद्ध में वह मुगल सेना से हार गए और उन्हें जंगलों में अपने परिवार के साथ शरण लेनी पड़ी। वहाँ कई-कई दिन उन्होंने भूखे-प्यासे और घास-पात की रोटियाँ खाकर गुजारे।

महाराणा प्रताप का जन्म सिसोदिया राजपूतों के वंश में हुआ। उनके पिता उदय सिंह स्वयं एक प्रबल योद्धा थे। उन्होंने कभी मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके। युद्ध से बचने के लिए आस-पास के कई राजपूत राजाओं ने अपनी पुत्रियों के विवाह अकबर के साथ कर दिए, लेकिन उदय सिंह ने वैसा नहीं किया।

महाराणा प्रताप ने भी अपने पिता की नीति का अनुसरण किया। मुगल बादशाह अकबर को यह बात बहुत खटकती थी। इसी का बदला लेने के लिए उसने मानसिंह और राजकुमार सलीम के नेतृत्व में सेना भेजी। हल्दीघाटी के मैदान में हुए युद्ध में महाराणा प्रताप के अंतिम सैनिक तक ने बलि दे दी। तब जाकर मुगल सेना बढ़त बना पाई।जंगल में भूख से बिलबिलाते बच्चों को महाराणा प्रताप कब तक देख पाते।

आखिर उन्होंने अकबर को आत्मसमर्पण का खत लिखने का फैसला किया। लेकिन तभी देशभक्‍त भामा शाह मदद लेकर आ गया। आगे फिर संघर्ष जारी रखा। साहस, शौर्य, निडरता, राष्‍ट्रप्रेम और त्याग की प्रतिमूर्ति भारत के वीर योद्धा महाराणा प्रताप की प्रेरणाप्रद जीवनी।

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