Sadhana aur Brahmanubhuti / साधना और ब्रह्मानुभूति: Sadhana and the Realization of God By Swami Akhandananda Saraswati ( Sat Sahitya Prakashan )

Original price was: ₹299.00.Current price is: ₹249.00.

Edition : 2023

Size : 21×15 cm 

Pages : 240

Language : Sanskrit Text With Hindi Translation 

Binding : Paperback

Weight : 260

Author : Swami Akhandananda saraswari ji 

Publishar : Sat Sahitya Prakashan 

स्वामी अखण्डानन्द के दर्शन में, “साधना और ब्रह्मानुभूति” का अर्थ है कि ईश्वर की अनुभूति (ब्रह्मानुभूति) के लिए निरंतर साधना (आध्यात्मिक अभ्यास) आवश्यक है। स्वामी अखण्डानन्द, जो रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे, ने आध्यात्मिक साधना के मार्ग को सेवा और भक्ति से जोड़ा था। उनका मानना था कि सेवा ही ईश्वर की सेवा है और इसी के माध्यम से ईश्वर की अनुभूति प्राप्त होती है। 
साधना और ब्रह्मानुभूति पर स्वामी अखण्डानन्द के विचार
  • सेवा को साधना के रूप में देखा: स्वामी अखण्डानन्द ने आध्यात्मिक साधना को केवल ध्यान और मंत्र जप तक सीमित नहीं रखा, बल्कि मनुष्य की सेवा को भी एक प्रमुख साधना माना।
  • भक्ति और सेवा का संगम: उन्होंने ईश्वर के प्रति भक्ति को कर्म और सेवा के साथ जोड़ा, जिससे व्यक्ति ईश्वर के करीब पहुँच सके।
  • रूढ़िवादी स्वभाव: शुरुआती दौर में वे थोड़े रूढ़िवादी थे, लेकिन गुरु रामकृष्ण के प्रभाव से उन्होंने इस दृष्टिकोण को व्यापक बनाया।
  • ज्ञान और अनुभूति: उनका मानना था कि केवल ज्ञान प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उस ज्ञान को जीवन में उतारना और उससे ब्रह्मानुभूति प्राप्त करना ही वास्तविक लक्ष्य है। 
संक्षेप में, स्वामी अखण्डानन्द के अनुसार, साधना के दो मुख्य रूप हैं: एक आध्यात्मिक अभ्यास (जैसे ध्यान और जप) और दूसरा निस्वार्थ सेवा, और इन दोनों के माध्यम से ही ब्रह्मानुभूति प्राप्त की जा सकती है।

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