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Edition : 2024
Size : 28x20x3 cm
Author : Pt . Shree Ram Sharma Archarya
Pages : 300
Weight : 1.1 kg
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हमारी भावी पिढ़ी और उसका नवनिर्माण — Hamari Bhavi Pidhi Aur Uska Navnirman – Vangmay No. – 63 – ————————————— आज के बालक ही कल के विश्व के, इक्कसवीं सदी के नागरिक होंगे। उनका निर्माण उनकी परिपक्व आयु उपलब्ध होने पर नहीं, बाल्यकाल में ही संभव है, जब उनमें संस्कारों का समावेश किया जाता है। संतानोत्पादन के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण उपक्रम है उन्हें बड़ा करना, उन्हें शिक्षा व विद्या दोनों देना तथा संस्कारों से अनुप्राणित कर उनके समग्र विकास को गतिशील बनाना। सद्गुणों की सम्पत्ति ही वह निधि है जो बालकों का सही निर्माण कर सकती है। इसी धुरी पर वाङ्मय का यह खण्ड केंद्रित है। ———– अध्याय-१ सुसंतति- निर्माण का शुभारम्भ कँहा से और कैसे हो? अध्याय-२ बालकों की शिक्षा ही नही, दीक्षा भी आवश्यक है। अध्याय-३ बालकों के सर्वांगीण विकास में अभिभावकों का योगदान।
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